New wage code का बदला जाएगा स्ट्रक्चर! लागू होते ही 50% नहीं होगी बेसिक सैलरी, सरकार कर रही है तैयारी
New wage code latest update: नए श्रम कानूनों (New wage Code) में कुछ बदलाव की तैयारी हो रही है. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) नए लेबर कोड (New Labour Code) में एक बार फिर सैलरी स्ट्रक्चर बदलने की तैयारी कर रही है.
New wage code: न्यू वेज कोड का इंतजार पिछले साल अप्रैल से हो रहा है. कई बार इसकी तारीख बदल चुकी है. पहले 1 अप्रैल 2021, फिर जुलाई 2021 और अक्टूबर 2021 की डेट मिलने के बाद भी ये लागू नहीं हो सका. न्यू वेज कोड में नए लेबर कोड लागू होने हैं. उम्मीद है कि इसे नए वित्त वर्ष में लागू किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य के ड्राफ्ट इनपुट पर चर्चा की जा रही है. इस बीच खबर है कि नए श्रम कानूनों (New wage Code) में कुछ बदलाव की तैयारी हो रही है. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) नए लेबर कोड (New Labour Code) में एक बार फिर सैलरी स्ट्रक्चर बदलने की तैयारी कर रही है. बता दें, नए लेबर कोड को 2019 में संसद ने पारित किया जा चुका है.
अलाउंस के पार्ट में हो सकता है बदलाव
लेबर मिनिस्ट्री (Labour Ministry) और लेबर यूनियन (Labour Union) के बीच चर्चा के बाद नई ड्राफ्ट गाइनलाइन जारी की जा सकती हैं. अभी तक जो गाइडलाइन तैयार की गई थीं. उसमें कुल CTC का 50% बेसिक सैलरी और 50% अलाउंस में रखने की बात सामने आई थी. इससे अंदाजा लगाया गया था कि नौकरीपेशा की इनहैंड सैलरी काफी कम हो सकती है. साथ ही टैक्स का बोझ बढ़ सकता है. लेकिन, अब इस स्ट्रक्चर में थोड़ा चेंज आ सकता है. सूत्रों की मानें तो न्यू वेज कोड लागू होते ही अलाउंस के पार्ट को सीधे 50% नहीं रखा जाएगा.
क्या होगा नया बदलाव?
न्यू वेज कोड (New wage code) में नया बदलाव ये होगा कि पहले साल अलाउंस की लिमिट को 70-75% रखा जाएगा. जैसे मौजूदा स्ट्रक्चर में कंपनियां करती हैं. लेकिन, इसे 3 साल में धीरे-धीरे घटाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा. आसान तरीके से समझें तो लागू होने के पहले साल 70% अलाउंस रखे जाएंगे और 30% बेसिक सैलरी. इसके बाद 3 साल में अलाउंस का हिस्सा 50% होगा और बेसिक सैलरी को बढ़ाकर 50% कर दिया जाएगा.
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छंटनी, कंपनी बंद होने के नियम भी बदलेंगे
नए लेबर कोड में कर्मचारियों की छंटनी (Layoffs) और कंपनी बंद होने को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. मौजूदा स्थिति में इसमें 300 कर्मियों की सीमा तय की गई थी. लेकिन, इसे लेकर लेबर यूनियन की तरफ से काफी विरोध किया गया. सूत्रों की मानें तो अब इसमें भी बदलाव किए जाने की संभावना है. इसे 300 से घटाकर 100 कर्मचारी करने पर विचार चल रहा है. इंडस्ट्रीयल रिलेशंस कोड (Industrial Relations Code) के तहत कर्मचारियों की छंटनी या कारोबार बंद करने के लिए 100 तक कर्मियों वाली कंपनियों के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होगी.
कौन से अलाउंस को किया जाएगा शामिल?
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव और CBT बोर्ड के सदस्य विरजेश उपाध्याय के मुताबिक, इंडस्ट्री ने नए सैलरी स्ट्रक्चर में 50% अलाउंस रखने का विरोध किया था. इसलिए इस पर दोबारा विचार हो सकता है. नए लेबर कोड में बेसिक पे (Basic Salary), महंगाई भत्ता (Dearness Allowances – DA) और रिटेनिंग अलाउंसेज भी शामिल होंगे. हाउस रेंट अलाउंसेज (HRA) और ओवरटाइम अलाउंसेज (Overtime Allowances) शामिल नहीं किया जाएगा. अलाउंस के शामिल होने से एम्प्लाई और एम्प्लॉयर को प्रोविडेंट फंड में ज्यादा योगदान करना होगा. ग्रेच्युटी की रकम (Gratuity) भी बढ़ जाएगी. सरकार सोशल सिक्योरिटी के तहत रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स पर ज्यादा फोकस कर रही है.
03:29 PM IST